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Ankit Maheshwari

Inspirational

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Ankit Maheshwari

Inspirational

उलझन

उलझन

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हम खज़ाना छोड़ दें, पर क्या ज़माना छोड़ दें, 

जुल्म से डर कर कहो क्या हक़ जताना छोड़ दे ।


कोई हक़ मांगे ही क्यों जो फर्ज़ सब करलें अदा, 

हक़ से मज़लूमो के हक़ पे हक़ जमाना छोड़ दें। 

इन चराग़ों से हसद की आग भड़केगी नहीं, 

बेवजह लेकिन हवाएँ आज़मानां छोड़ दें


ख़ुशमिज़ाजी ठीक, हँसना भी बहुत अच्छा मगर, 

दूसरों पर तंज़ कर यूँ मुस्कुराना छोड़ दें 

झांक लें अपना गिरेबा, आईना देखें ज़रा 

बेसबब औरों पे यूँ उंगली उठाना छोड़ दें


दिल में है जज़्बा अगर, हर ख़्वाब की ताबीर है, 

मुश्किलों के सामने यूँ सर झुकाना छोड़ दें,

बनके खुद का आसरा आगे बढ़े ग़म से लड़े, 

आँसुओं से भी कहें आँखों में आना छोड़ दें ।


जोश भरे दें, हौसला दें होश की बातें करें, 

अब सुख़न-वर दर्द के नगमें सुनाना छोड़ दें 

रोशनी के हमसफ़र हैं आरजू के ख्वाब कुछ, 

तीरगी के खौफ़ से क्यों जगमगाना छोड दें।



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