उड़ान
उड़ान
शायर परिंदा बनकर उड़ जा
ये ज़माने वाले तुझे उड़ने न देेगे
परिंदो का पर काटना ये खूूब जानते हैै
तू मुसाफिर बन जा इस जमाने का
तुझे बहुत दूर जाना है शायर
कभी लौट केेर न आना तू वापस इस दुनिया मे
तू तो अपने ख्वाबो का उड़ता हुआ परिंदा हैै
इस जमी का तू नही बाशिन्दा है
इस शोर-ए-दुनियां का तू नही परिंदा है
तू खुले आसमान का बाशिन्दा है।
