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दिनेश नीरव

Romance

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दिनेश नीरव

Romance

तुम्हारे लिए ...

तुम्हारे लिए ...

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गर हाथ हटा लो चेहरे से,

एक चाँद निकल आए पल में।


मेरे मन के तार मचल जाएँ,

बस आग ही लग जाए जल में।


हट जाये जो घूंघट मुख से,

डूबे हर मंजर हलचल में।


जो फिर यह पर्दा पड़ जाये,

छुप जाए रवि अस्ताचल में।


तुम चाँदी हो या सोना हो,

क्या बात है तेरे काजल में।


मैं क्यों नहीं मिट जाऊँ तुम पर,

मेरी साँस है तेरे आँचल में।


तेरी आँखें हैं या नील गगन,

या छुपता चाँद है बादल में।


तेरा चेहरा है यूँ खिला हुआ,

खिलता सरोज जैसे जल में।


तुमसे ही प्रीत है जाने क्यूँ,

तुम बिन जैसे मैं मरुथल में।


तुम सागर हो मैं नदी-नार,

इक आस है तुम्हरे संबल में।


हर बिनती में तुमको मांगूँ,

मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर में।


भगवान करें तुम बिछड़ो ना,

और पड़ ना जाऊँ मैं छल में।


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