STORYMIRROR

Anita Shrivastava

Abstract

4  

Anita Shrivastava

Abstract

तुम्हारा प्यार

तुम्हारा प्यार

1 min
322

कोरोना का कालकूट

रहा हो दुनियाँ को लूट

सब घरों में बंद हैं

जैसे नज़रबंद हैं

दिल ही दिल मे रहते हो

तुम भी कुछ कहते हो

जैसे कि जाना मत

घर से निकल जाने का

बहाना बनाना मत

अब तुम्हे मैं क्या बोलूं

मौत नाच रही उधर

अधर यहां क्या खोलूं

शायद इन साँसों में

नाम एक तुम्हारा हो

शायद इन आँखों में

रुप एक तुम्हारा हो

इसीलिए छुआ नहीं

अब तक कोरोना का

संक्रमण हुआ नहीं

प्यार का संक्रमण

कर रहा अतिक्रमण

कोरोना कर न सका

मुझ पर फिर आक्रमण।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract