तुम मनसूर नहीं होगे अब साबित
तुम मनसूर नहीं होगे अब साबित
तुम मनसूर नहीं होगे अब साबित,
जबकि था ऐसा ही कुछ काबिज।
असंयत सरकार या इकट्ठे गद्दार,
असंयम दरकार या मयकदे ख्याल।
कभी शब्दों का अस्तमन नहीं होता,
क्योंकि इतिहास का कफन नहीं होता।
कांग्रेस की नीतियां विफल हो गयीं हैं,
भाजपा की भ्रांतियां सफल हो गयी हैं।
खामोशियां सत्य को समझती हैं,
लेकिन हकीकत पर सदा रंज रीझती है।
श्रधांज्ली देने की लत हो गयी सरकार को,
मिथ्या तथ्यों पर अब भरोसा सब बेकार को।
विदेशों में मसाज होती है विदेशी नीति के पीछे,
बेरोजगारी का उदाहरण है राजनीती के पीछे।
किसी की जिंदगी किसी के नशीब की नहीं है,
तेरी वफा हो या जफा किसी गरीब की नहीं है।
आप लोग यह देख रहे हैं कि हमारा नेता कहा जा रहा है,
जबकि लोगों को देखना यह है कि देश कहां जा रहा है।
बहुतायत तो आप अपना धंधा चलाने के लिये बीजेपी के सपोर्ट में है,
यह सरकार इन्हीं मिथ्या लोगों के साथ सरकार बनाने के वोट में है॥