तिनका और अहंकार
तिनका और अहंकार
आज निकला मैं अपने घर से ,
विधायक की सी चाल लेके ,
ऐंठ रहा था ऐसे जैसे ,
पूरी दुनिया हो मेरी मुट्ठी में ,
तभी एक उड़ता तिनका आया ,
आंख में पड़ा और दर्द दिलाया ,
आंख तो लाल कर ही गया ,
और मैं जोर से पीड़ा से चिल्लाया ,
तभी एक नेक आदमी आया ,
उसे मेरी आंख से निकाला ,
जब पीड़ा कम हुई तब मस्तिष्क ने कहा मुझसे ,
एक छोटा सा साहसी तिनका तो संभाला नहीं जाता है तुझसे ,
अहंकार को छोड़ दे बंधु ,
एक तिनके से तो लड़ना सीख ,
परिश्रम का मार्ग पकड़ले ,
खुद से धोखाधड़ी को छोड़।।