तेरे अपनों मे मुझे
तेरे अपनों मे मुझे
तानो मे कटे जिंदगी औऱ दर्द ने सहलाया हो
मतलब भरी मुस्कान हो औऱ अपनो ने रुलाया हो
कहती है आत्मा चीख चीख कर कि तेरे अपनो में मुझे गैर दिखा है
दिखा कोई औऱ नहीं उनमें छिपा स्वार्थ दिखा है
मतलब की कड़वी हंसी को दिखावे की खुशी मे बदल देते हैं
तानो को बना बातों का रूप , पुराने जख्मौं को कुरेद देते हैं
देखती है आंखे चौंककर की तेरे अपनों मे मुझे गैर दिखा है
दिखा कोई औऱ नहीं उनमें छिपा बेर दिखा है
जलते दिये मे भी अंधेरा नजर आता है
आती है हवा औऱ धुल का झोंका बसर जाता है
कहती है खामोशी सोचकर की तेरे अपनो मे मुझे गैर दिखा है
दिखा कोई औऱ नहीं उनमें छिपा हकदार दिखा है!
