STORYMIRROR

Meenu Swami

Abstract

4  

Meenu Swami

Abstract

तेरे अपनों मे मुझे

तेरे अपनों मे मुझे

1 min
242

तानो मे कटे जिंदगी औऱ दर्द ने सहलाया हो

मतलब भरी मुस्कान हो औऱ अपनो ने रुलाया हो

कहती है आत्मा चीख चीख कर कि तेरे अपनो में मुझे गैर दिखा है

दिखा कोई औऱ नहीं उनमें छिपा स्वार्थ दिखा है


मतलब की कड़वी हंसी को दिखावे की खुशी मे बदल देते हैं

तानो को बना बातों का रूप , पुराने जख्मौं को कुरेद देते हैं

देखती है आंखे चौंककर की तेरे अपनों मे मुझे गैर दिखा है

दिखा कोई औऱ नहीं उनमें छिपा बेर दिखा है


जलते दिये मे भी अंधेरा नजर आता है

आती है हवा औऱ धुल का झोंका बसर जाता है

कहती है खामोशी सोचकर की तेरे अपनो मे मुझे गैर दिखा है

दिखा कोई औऱ नहीं उनमें छिपा हकदार दिखा है!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract