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Meenu Swami

Abstract

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Meenu Swami

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काशः आत्मरक्षा का

काशः आत्मरक्षा का

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मैं गिरा नहीं हूं सूखकर पर फिर भी गिराना चाहते हैं

 मैं मरा नहीं हूं टूट कर पर फिर भी मिटाना चाहते हैं

 काश आत्मरक्षा का एक अंश दिया होता

 मैं हटा पाता उन खुद्दारों को जो मुझे हटाना चाहते हैं!


 जिसने सींचा था मुझे बचपन में वो मुझे छोड़कर चला गया

 मुझको याद दिला कर वो मुझे भूल कर चला गया

 काश मेरा अस्तित्व मजबूत बना दिया होता

 तो मैं समझा पाता उस निर्दयी को जो मुझे उखाड़ कर चला गया!


 मैं जीवन बनाया करता हूं ,मैं जीवन मिटाया करता हूं

 मैं वो हूं जो हर मुर्दे को पंच तत्व मे विलीन कराया करता हूँ

काशः इन इंसानों को इतना खुद्दार न बनाया होता

तो समझा पाता मे पेड़ हूँ, औऱ संसार को सजाया करता हूँ!


एक पंछी कि नींद हूँ में, औऱ पंछी का बसेरा

लकड़ी वाले का जीवन हूँ मैं, औऱ भूखे का सवेरा

दर्द से मुक्ती पाने का कोई सिला तो ढूंढ दिया होता

कहां पाता मे सबका हूँ ,क्या कोई नहीं है मेरा!


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