STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

3  

Sudhir Srivastava

Abstract

तार्किक बनिए

तार्किक बनिए

1 min
266

माना कि सबकी 

अपनी वैचारिक और

वैधानिक स्वतंत्रता है,

तर्क देना आपका अधिकार है।

मगर तार्किक ही बनिए

सिर्फ तार्किक तर्क ही रखिए,

तर्क की आड़ में 

कुतर्क मत करिए,

तभी अपनी बातों से

तार्किकता का भाव जगा पायेंगे।

अपनी बातों से औरों को 

प्रभावित कर पायेंगे,

अपनी बुद्धिमत्ता का

लोहा मनवा पायेंगे,

कभी मुँह की नहीं खायेंगे

हँसी का पात्र बनने से बच जायेंगे।

ऊपर से सम्मान भी पायेंगे

कभी नहीं पछतायेंगे,

अपनी तर्कशीलता का तभी

लोहा भी मनवा पायेंगे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract