स्वतंत्रता
स्वतंत्रता


आज़ादी हमने पाई,
पर,
कीमत बड़ी चुकाई हमने।
अनगिनत क्रांतिवीरों के खून से,
छवि बनी मां भारती की।
हमने देखा,
स्वतंत्र भारत है हमारा,
और,
बीन सांप्रदायिक देश है अपना।
दुनिया का,
सबसे बड़ा है,
लोकतंत्र!!
हम ही चुनते हैं नेता,
फिर क्यों है भ्रष्टाचारी??
भ्रष्टाचार की बोलबाला,
और...
रिश्वत का झोल झोला!!
संस्कार कहाँ है हमारे?
भूल गये सब मर्यादाएं!
दारू पीना, जुआँ खेलना,
पर स्त्री से छेड़छाड़!!
बहन..बेटी..बहु,
आसानी से,
'आ' 'जा' न सके,
स्वतंत्र भारत में,
छाया माहौल डरावना!!
ये सब हो गई आम बातें।
स्वच्छता के आग्रही थे बापू,
पर, कचरा फेंकना इधर उधर,
रोंग साइड में गाड़ी चलाना,
समझते हैं सब,
हक अपना।
स्वतंत्र भारत स्वच्छंद बना है
७३ साल आज़ादी के,
पूर्ण हुऐ,
अब,
हम जनता को सुधरना होगा।
बदलाव लाना होगा,
आत्म खोज हमें करनी पड़ेगी
जीना है हमें
देशप्रेम को दृढ़ बनाकर।
संस्कार हमारे सनातन,
जीना है हमें संस्कारों के साथ।
तभी,
मिलेगी सच्ची आज़ादी।
सच्ची स्वतंत्रता।