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Sudhir Srivastava

Inspirational

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Sudhir Srivastava

Inspirational

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

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325



भारतीय अध्यात्म का परचम

जिसने दुनिया में फहराया,

बारह जनवरी अठारह सौ तिरसठ 

कोलकाता बंगाल भूमि पर

कायस्थ कुल में जन्मा बालक

माता भुवनेश्वरी देवी

पिता विश्वनाथ दत्त सुत

नरेंद्र नाथ दत्त कहलाया।

पिता वकील माँ थी धार्मिक

अध्यात्म नरेंद्र को भाया

पच्चीस वर्ष की उम्र में ही

पहन लिया था संन्यासी चोला

शुरू हुई विवेकानंद बनने का सफर

अध्यात्म मुखर हो बोला।

रामकृष्ण परमहंस के शिष्य नरेन्द्र की

दक्षिणेश्वर काली मंदिर में

पहली भेंट हुई थी,

प्रभावित हुए विचारों से उनके

गुरु मान शीष झुकाए थे।

हाँ मैंने भगवान को देखा है

गुरु की इन बातों से नरेन्द्र पर

गहरी छाप छपाये थे।

ग्यारह सितंबर अठारह सौ तिरानब्बे

अमेरिका के शिकागो सम्मेलन में

मेरे अमेरिका के भाइयों बहनों बोल

आर्ट इंस्टीट्यूट आफ शिकागो में

पूरे दो मिनट तालियां बजवाये थे

इतिहास में नाम दर्ज करवाये थे।

दमा और शुगर रोग स्वामी जी

युवावस्था में ही पाये थे,

चालीस पार न कर पायेंगे

भविष्यवाणी कर बताए थे,

चार जुलाई उन्नीस सौ दो को स्वामी जी

उनतालीस वर्ष में ही महासमाधि पाये थे,

अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी

स्वयं सिद्ध कर दिखाए थे। 

बेलूर के गंगा तट पर स्वामी जी का

अंतिम संस्कार हुआ था,

गंगा के दूजे तट पर उनके गुरू का भी

पहले अंतिम संस्कार हो चुका था।

हर साल बारह जनवरी को भारत

राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है,

उन्नीस सौ पच्चासी से स्वामी जी के

सम्मान में 

इस दिवस का शुरुआत हुआ।



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