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Indu Kothari

Abstract

4.5  

Indu Kothari

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सुखी संसार

सुखी संसार

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323


जन जन में हो समरसता

 हो सब लोगों में भाईचारा

 एक दूजे को गले लगायें

ऐसा हो सुखी संसार हमारा


 गलती होने पर माफी मांगें

 कभी न मर्यादा की सीमा लांघे 

दूर करेंगे हम दुखियारों के गम

सब काम करें मिलजुल कर हम


जीवों के प्रति दया भाव हो

बड़े बुजुर्गो के प्रति सेवा भाव

ईर्ष्या द्वेश से सदा जो रहते दूर

उनके सपने ही करते प्रभु पूर


 मेहनत होगी जब भरपूर

 होंगे जीवन से तभी दुःख दूर

 सपने होंगे सभी साकार  

 तभी सुखी होगा घर परिवार


अलगाव की न अलख जगाओ

दिलों में न बैर भाव बढ़ाओ

सतरंगी गुलों का यह गुलिस्तां

जग से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तां


जग में बेफिक्र जो रहते हैं

सुख दुःख सम भाव से सहते हैं

संघर्षों से होता जिनको प्यार है

उन संतों का ही सुखी संसार है।।


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