सुबह की दस्तक
सुबह की दस्तक
दूर सुबह की,
लालिमा जाने लगी,
पंछियों के कलरव से,
वातावरण सुमधुर हो चला।
सूरज की पहली किरण ने,
धरती का स्पर्श किया,
सुनहरी धूप ने समस्त,
धरा पर पाँव पसारे।
ओस में नहाई हुई,
दूर्वा ने धीरे से आँखें खोली,
सुनहरा समय आ गया।
नींद से जागने का और,
चिर-प्रतीक्षित स्वप्नों,
को पूरा करने का,
क्योंकि सुबह ने दस्तक दी है।
