सत्य अटल
सत्य अटल
क्या कहूँ ?
कैसे कहूँ ?
निःशब्द हो गए
हैं ये लब मेरे।
कहूँ भी तो
किससे कहूँ
कब तलक मैं चुप रहूँ।
ये साँसों का पहरा
ये दिल की धड़कन
जाने थम जाए कब।
नहीं कुछ भी नहीं
कुछ नहीं है जीवन
बस मृत्यु ही है सत्य अटल।
लोगों का आना-जाना
पलना-बढ़ना-चढ़ना
देखना और दिखाना
है नजरों का धोखा केवल
बस मृत्यु ही है सत्य अटल।
ये दुनिया, ये दौलत
ये चाहत, ये शोहरत
कुछ भी न साथ जाए,
रहता है तो बस नाम तेरा
दिलों में बसता है काम तेरा
बाकी सब कुछ धोखा है केवल
बस मृत्यु ही है सत्य अटल।
