STORYMIRROR

सत्य अटल

सत्य अटल

1 min
261


क्या कहूँ ?

कैसे कहूँ ?

निःशब्द हो गए

हैं ये लब मेरे।


कहूँ भी तो

किससे कहूँ

कब तलक मैं चुप रहूँ।


ये साँसों का पहरा

ये दिल की धड़कन

जाने थम जाए कब।


नहीं कुछ भी नहीं

कुछ नहीं है जीवन

बस मृत्यु ही है सत्य अटल।


लोगों का आना-जाना

पलना-बढ़ना-चढ़ना

देखना और दिखाना

है नजरों का धोखा केवल

बस मृत्यु ही है सत्य अटल।


ये दुनिया, ये दौलत

ये चाहत, ये शोहरत

कुछ भी न साथ जाए,


रहता है तो बस नाम तेरा

दिलों में बसता है काम तेरा

बाकी सब कुछ धोखा है केवल

बस मृत्यु ही है सत्य अटल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract