स्त्री हूं मैं
स्त्री हूं मैं
हां स्त्री हूं मैं।
कभी बेटी कभी बहन कभी मां कभी पत्नी कभी प्रेमिका हूं।
किसी ने बोला लड़कियां कभी किसी एक आदमी से प्यार नहीं कर सकती है ।
मैंने बोला बिलकुल सही।
एक स्त्री अपने पूरे जीवन में कई दौर से गुजरती है।
जब वह एक बेटी होती है तो अपने पिता से बहुत प्यार करती है।
फिर जब वह बहन होती है तब अपने भाई से बहुत प्यार करती है।
जब किसी की दोस्त बनती है तो अपने दोस्त से बहुत प्यार करती है।
जब किसी की प्रेमिका बनती है तो अपने प्रेमी से बहुत प्यार करती है।
जब किसी की पत्नी बनती है तो अपने पति से बहुत प्यार करती है।
जब किसी की मां बनती है तो अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है।
जब किसी की नानी या दादी बनती है तो अपने पोते पोतियों से बहुत प्यार करती है ।
स्त्री एक ही रहती है बस दौर बदल जाते है और ऐसा भी नहीं है कि वह बाकी सब को भूल जाती है।
सभी से सामान प्यार करें वही स्त्री है ।
स्त्री को यूं ही नहीं ममता की मूरत कहते हैं ।
स्त्री में सच में बहुत ममता और प्यार होता है जो वह हर दौर में बांटती है ।
