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Ruchika kumari

Abstract

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Ruchika kumari

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सपनों की हलचल

सपनों की हलचल

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गुजरे कुछ पल वो निगाहों में

मैंने कैद कर रख लिए 


अब आंखें बंद कभी करूंगा

तो भी तुम्हें ही देखूंगा

 

सपनों की हलचल से फिर

हमारी बेकरारी अब नहीं 


अब फिर से मैं अकेला हूं

खुद का रास्ता देख रहा हूँ।


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