सपना नहीं देखा तो क्या देखा
सपना नहीं देखा तो क्या देखा
जिन नैनों से देखे सपने
उनका विश्वास ना तोड़
उठ खड़ा हो और देख,
बुला रही है ज़िंदगी
क्योंकि यही लक्ष्य की नींव,
यही है रेखा
सपना नहीं देखा तो क्या देखा !
बड़े नसीब वालों को दिखते हैं सपने
ऐ मुसाफिर !
तेरे भी लक्ष्य होंगे
जब जाके तूने सपना देखा
वरना सब कोसतें हैं खुद को
देख के हाथों की रेखा
सपना नहीं देखा तो क्या देखा !
पाए तू हर मंज़िल
आसमान भी झुके तेरे आगे
चाहे हारे तू हर डगर पे हर मोड़ पे
ना करना तू अपने सपनो को अनदेखा
क्योंकि सपना नहीं देखा तो क्या देखा !
चाहे गिर जाए पहाड़
या मेहनत मिल जाए पानी में
मत घबरा और देख अपने सपने को
कर जा कुछ ऐसा कि
दुनिया लिखे तेरी लेखा
सपना नहीं देखा तो क्या देखा !
जाते - जाते कुछ अल्फाज़ कहूंगा,
ऐ दोस्त !
ना देखना तू ऐसे सपने कि
पहुंचे दुख अपनों को
वही तेरी ज़िंदगी,
वही तेरा सब कुछ
फिर भी एक बात बोलता हूं
और बोलता रहूंगा
सपना नहीं देखा तो क्या देखा !
