The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

A R Sahil

Inspirational

3  

A R Sahil

Inspirational

सोचो काश कहीं ऐसा होता

सोचो काश कहीं ऐसा होता

2 mins
339


सोचो काश कहीं ऐसा होता

बनाने वाले ने हम इंसानों को भी

काश खुद की तरह पत्थर का बनाया होता

न तो होते सीने मे जीते जागते धड़कते हुए दिल

और न ही होते किसी तरह के कोई एहसास

कोई जज्बात


हर तमन्नाओं से महफूज, 

हर एहसास से खाली

होता ये छोटा सा दिल

सोचो काश कहीं ऐसा होता

बनाने वाले ने हम इंसानों को भी

काश खुद की तरह पत्थर का बनाया होता


तो शायद

नहीं यक़ीनन

हम इंसानों की ज़िन्दगी कुछ इस तरह होती

हर एहसास, हर जज्बात से खाली

न ही कुछ पाने की ख़ुशी

और न ही कुछ खोने का ग़म

न ही दिल मे कुछ जीतने की तमन्ना

और न ही कुछ हारने का डर


काश कहीं ऐसा होता

तो कितना अच्छा होता

हम इंसानों की भी एक ऐसी दुनिया बनती

जहाँ लोग आपस में

करते न किसी से नफरत

और न ही करते किसी से मुहब्बत

न ही उठती कही नफरतों की चिंगारी

और न ही लगती कहीं मज़हब व

साम्प्रदायिकता की आग


न ही बनती कोई औरत बेवा

और न ही होता कोई मासूम अनाथ

न तो मरते कोई बेगुनाह

और न ही सुनी होती किसी माँ की गोद

हर तरफ होता अमन,चैन, सुकून व

शांति का माहौल



सोचो काश कहीं ऐसा होता

बनाने वाले ने हम इंसानों को भी

काश खुद की तरह पत्थर का बनाया होता

तो शायद इस दुनिया में

न तो बनता कोई हीर -रांझा

और न ही बनता कोई लैला मजनू

न तो करता कोई तामीर


मुहब्बत की जीती जगती निशानी

उस ताजमहल की

और न ही यादों के भंवर मे खिलता

कोई हसीं कमल

किसी की याद में

न तो लिखता कोई शाम सहर

शोख ग़ज़ल

और न ही बनता कोई कवि कोई शायर


न तो रुलाती किसी आशिक को किसी

महबूबा की बेवफ़ाई

और न ही जलता कोई

इश्क़ मुहब्बत प्यार वफ़ा की आग मे

सोचो “साहिल” कितना अच्छा होता

बनाने वाले ने हम इंसानों को भी

पत्थर का बनाया होता

हम इंसानों को भी पत्थर का बनाया होता



Rate this content
Log in

More hindi poem from A R Sahil

Similar hindi poem from Inspirational