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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Abstract

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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सील है कोई ढील नहीं है ( 11 )

सील है कोई ढील नहीं है ( 11 )

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गामड़ी नारायण में 

गांव पूरी तरह से सील है, 

अपने-अपने घर रहना, 

ना कोई ढील है,


हर रोड़ पर लठ लिए 

नौजवान खड़े है,

नहीं घुसने देंगे कोरोना को 

इस बात पर अड़े है,

पातेला और पाटिया डूंगरा 

एवं ......,


रैयान वाला और भाटीया वाला 

नाका बहुत भारी है, 

संभल कर निकलना,

अगर जान प्यारी है,

गाँव के चारों तरफ हैं 

नौजवान की तैनाती है,

गाँव वालों के लिए 

इससे अच्छी और क्या बात है ?


गामडी नारायण की हर सड़क पर हैं 

भाइयों की कड़ी नजर है,

सम्भल कर गुज़रना यहाँ से,

बहुत कठिन डगर है,

याद रखना 

हर तरफ कड़ा पहरा है 

जीता वही है जो ठहरा है,

कहीं-कहीं अब भी गांव में 

भीड़ दिखाई दे जाती है,


सचेत रहना मेरे गांववालों 

बीमारी मरकज़ से चलकर भी आ जाती है, 

सेल्यूट हैं "चेतन दास वैष्णव" 

मेरे गाँव के नौजवानों की इस मुहीम को मेरा,

जलेंगे एक बार फिर दीपक,

दूर होगा अँधेरा,दूर होगा अँधेरा,

मेरे गाँव से ही नहीं 

उसे मेरे देश से भी भागना पड़ेगा !        


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