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Mrs. Mangla Borkar

Abstract

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Mrs. Mangla Borkar

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सिगरेट की आदत

सिगरेट की आदत

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सिगरेट छीने तन मन धन धुंए की बरसात में

बुझ गया है जीवन भर गई राख फेफड़ों में

ख़राब हुआ जी जनम जनम को लगा लिया

जी सिगरेट की आदत


अब तो खुदा भी ना करे इस बुरी लत से हिफाजत

हिफाजत वह क्यों करे तुमने लगाई

अपनी मर्ज़ी से लत

खुदा की बेशकीमती ज़िन्दगी की लगा दी


दो कौड़ी की क़ीमत 

कीमत लगा के भूल बैठे कितना अहम है

स्वस्थ शरीर

इस धुंए को धो ना पाए नीर और


इलाज का खर्चा ऐसा बने फ़कीर

फकीरी में गँवाई सेहत और गंवाया धन

बुरी लत को बनाके जीवन अब गंवाएंगे तन।


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