शून्य
शून्य
डर के
गर्भ में
सिर्फ
और
केवल
सिर्फ
डर
होता है
बाकी
कुछ भी
नहीं
होता
प्रेम के
भीतर
डर
होता है
लेकिन
डर के
गर्भ में
सिर्फ
और
केवल
सिर्फ
शून्य
होता है।
डर के
गर्भ में
सिर्फ
और
केवल
सिर्फ
डर
होता है
बाकी
कुछ भी
नहीं
होता
प्रेम के
भीतर
डर
होता है
लेकिन
डर के
गर्भ में
सिर्फ
और
केवल
सिर्फ
शून्य
होता है।