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shekhar kharadi

Abstract

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shekhar kharadi

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श्रृंगार

श्रृंगार

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नेत्रों में अनंत सागर

होठों में मधुर हास्य

केशों में रुक्ष वृत्तांश

मन का अलौकिक श्रृंगार

तन का भौतिक श्रृंखला ,

स्वार्थ से रिक्त

तृष्णा से निष्पक्ष

प्रेम से अस्पृश्य

हृदय से अभिन्न

आत्मिक से निर्मल!


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