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Rangoli Mishra

Abstract

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Rangoli Mishra

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शरद की पूनम

शरद की पूनम

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बहुत रातों के बाद

आज तारों को सुलाने

पूनम आई है।


थके हुए हैं

जागे हुए हैं

कई रातों के

अभी अभी अमावस को

सजा कर आए हैं।


कई तो घूंघट कर

सेज पर जा बैठे हैं

चाँद लीला की रास लीला होगी

आज शरद पूर्णिमा की रात है।


आज सायों में भी बात है

आज कान्हा रास की रात है।


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