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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

शीर्षक- बेटी

शीर्षक- बेटी

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बेटियों की मुस्कुराहटों ने कई राज खोल दिए

चुप रहे अल्फ़ाज़ों से आँखों की नमी ने

दर्द के तमाम  राज बयान कर दिये।

पढ़ने दो लिखने दो मेरे पंखों की

उड़ान पर साक्षरता होने का प्रमाण दो।

मैं सब कर सकूँ ,मुझ पर विश्वास की छाप

दो।


मेरे तजुर्बे ने मुझे नाकामयाबी का नकाब उतारना सीखा

दिया

जब से पता चला जमाने को

उड़ान मेरे साक्षर रूपी पंखों की

दो कुलों का जग में नाम होगा।

मैं बेटी हूँ, कामयाबी के झरोखे से

पुलकित कर दूँगी संसार को

हमें देख कर फीकी मुसकुराहट देने वालों

बेटी के जन्म को बदकिस्मती न मानो।


हमने भी मेहनत के दम पर ही मंजिल हासिल की है

हर दिल को अपना घर बना कर

दो कुलों में शान्ति प्रदान करने का आधार

रखने के हौसले की शक्ति ईश्वर ने दी है।

हैरान हूँ ,इस बात से

समाज में आधुनिकता का दौर है ।

शिक्षित समाज में अभी भी बालिकाओं पर

शिक्षा की संकुचित दायरे का जोर है

समाज आज भी बिन नारी के कमजोर है

नारी धरती समान सहनशील है

बेटी आज नहीं कमजोर है

 छलनी सीने पर परिश्रम का जोर है।।

सबने हँसते हुए तीर बरसाये

अपना दर्द सीने में छुपाये

अपने  शिक्षण की योग्यता से समाज

में पहचान पा सकूँगी।।

शिक्षित समाज का हिस्सा बन कर

आने

वाले दौर को सभ्य संस्कार दूँगी।


जननी बन कर 

दो कुलों की मर्यादा निभा कर।।

नारी की छवि तेजस्वी सूर्य की भांति

भरपूर होगी "बेटा संस्कारी  बेटी आज्ञाकारी

समाज  से दूर होगी

घिनौने बलात्कार की बीमारी।

समाज को समृद्ध बनाने के लिए

बालिका शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

देश के खुशहाल भविष्य के लिए

बालिका शिक्षा का योगदान

करे जन जन का कल्याण ।



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