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Prerana Pari

Inspirational

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Prerana Pari

Inspirational

शात्री जी

शात्री जी

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जय जवान जय किसान नारे के साथ

शुरू हुआ था उनका सामराज्य, 


 कद छोटा सा मगर हौसले मजबूत थे

 देश की माटी से निकला, एक वीर 

 कभी उसी माटी में जा मिला


 जिसे शान्ति का प्रतीक मानते थे, 

 आज  वह उसी शान्ति में कहीं जा मिला

 

स्वत्रंता सेनानी के अंंग थे, 

हिम्मत और आकांक्षाएँ तो बुुुलंद थी

 पर उम्र कुछ छोटी पड़ गयी


नेहरू और  गांधी जेसे, देश को आजाद

देखने का सपना था उनका, 

दुश्मनों को मुह तोड़ जवाब देना

उन्हें अच्छे से आता था


आतंक को रोकना हो, या

अन्न की कमी से जूझना,

हर परिस्थिती में शय संयम और 


धौर्य रखना शात्री  जी ही कर पाते थे

जिस तरह आऐ थे, कुछ उसी तरह 

चले भी गए......


 मगर पीछे बहुत से राज़ छोड़ कर......... 


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