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Animesh Pandey

Abstract

4.5  

Animesh Pandey

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शाम का शोर

शाम का शोर

2 mins
173



मैंने शाम गुजरते देखा है।

एक जगह बैठे उसे रात, फिर दिन,

और फिर वापिस आते देखा है

उसे असाढ़ में तपते, माघ में ठिठुरते

तो सावन में झूमते देखा है।

कभी जुगनू जैसा चमकते,

काली स्याही में बदलते,

कभी सतरंगों से भरे तो, कभी

नीले रंग में सफेद को घुलते देखा है।

उसे ठहरते देखा है

नन्हे परिंदों संग ओझल होते देखा है

उनके पंखों संग खेलते देखा है

मैंने शाम...... को गुजरते देखा है।


चबुतरे पर लेट के,

कमरे की किवाड़ों से झाँकते,

छज्जे पर बैठ के, तो कभी

खुले मैदानों में दौड़ते देखा है।

गाँव के सुकूँ में देखा है,

शहर की चकाचौंध मे देखा है,

घाट किनारे बैठ कर देखा हैं

समंदर की रेत जैसे भीगते देखा हैं।

बचपन में उससे रेस लगाने से,

जवानी में उस से हारते देखा है

दोस्तों के साथ देखा है, उनके बाद देखा है।

खुली आँखों से देखा है

मूंद कर उनपर बसते देखा है

मैंने शाम में..... ज़िंदगी को गुजरते देखा है


किसी का हाथ पकड़ चलते ,

तो उस हाथ के न होने पर रोते देखा है

अकेले पन के मायूसी में,

तो दिल भर आये खामोशी में देखा है

मस्त मौला मग्न झूमते

तो संग गुनगुनाते देखा है।

तुम्हारे साथ उसे रोते देखा है

तुम्हारे साथ उसे खोते देखा हैं

संग कई शामो को गुज़ारने से लेकर,

उन शामो को अपना बनाते देखा है

मैंने तुम्हें...... शाम को रोकते देखा है।


बंगले के आलिशान बालकॉनी से,

टिन से ढकी झोपड़ी से,

किसी को उसे पूजते,

तो किसी को उससे जूझते देखा है ।

मैंने शाम तले,

दो दुनिया को बसते देखा है।

उस संग आशाओं को मारते देखा है,

उस संग सपनों को संजोते देखा है,

मैंने शाम की सच्चाइयों को देखा है,

उसे निर्दयी होते, मरती परछाइयों को देखा है।

मैंने शाम रहते...... लोगो को गुजरते देखा है।


शाम को खास से आम बनते देखा है

कहने वालों के किस्सों से खोते देखा है

लिखने वालों को उसे मिटाते देखा है

शाम से जुड़े रिश्तों को टूटते देखा है।

कभी शाम को अकेला देखा करता था,

आज उसे अकेले होते देखा है।

परिंदों को उससे मुँह मोड़ते देखा है

शाम के सुकूँ को शोर बनते देखा है

उसमे अपनी जीत को देखा करता था,

आज खुद सा बेबस होते देखा हैं।

यादों से बाहर निकल के,

उसे सच्चाई को घूँटते देखा है।

गहरे काले अंधेरे में समाते देखा है।

कभी आज़ाद हुआ करता था

अब फंदे में लिपटते देखा है।

मैंने आज...... शाम को मरते देखा है।


                        


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