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Md Akmal Hoda

Romance

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Md Akmal Hoda

Romance

सदके

सदके

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तेरे हुस्न तग़ाफ़ुल के मैं सौ बार सदके

सुर्ख होते हुए इन लबों रुखसार पर सदके।


घटा बन कर जो गिरती है ज़ुल्फ तेरे चेहरे पे

मैं उन जुल्फों के एक एक बाल पर सदके।


नाज़ुक सी कलाई में जो तुमने पहने हैं कंगन

मैं उन कंगन के एक - एक तार पर सदके।


अदाए बे नियाजी से वो ज़ुल्फो को कानों के पीछे करना

हाय! मैं उन झुमकों के हर झंकार पर सदके।


वो नींद के बोझ से मेरे सीने पे सर रखकर है

मैं उसकी नींदों भरी आंखों के खुमार पर सदके।


बिजली चमकने के डर से वो मेरे सीने से आ लगी

उफ्फ मैं इस बे मौसमी बारिश की फुहार पर सदके।


वो तेरा गुस्से में आग हो कर देखना मुझे

मैं ऐसी जलती आग के हर अंगार पर सदके।


शायरी एक फन है और वो मेरी उस्ताद है "अकमल"

मैं क्यूं ना हूं ऐसी उस्ताद के हर फनकार पर सदके।


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