सैनिक के बोल
सैनिक के बोल
देश के खातिर मरने वाले,
ऐसे वीर जांबाज हुए।
जो उम्र थी खेलने-खाने की,
उस उम्र में वो कुर्बान हुए।
शहादत पर बेशक मत बोलो,
शहादत का कर्ज चुकाना है।
मानवता सबसे पहले,
आपस का भेद मिटाना है।
प्राणों के बदले मिली आजादी,
कीमत देने का साहस हो।
ह्रदय में रहे बस देशप्रेम,
जब उनकी याद की आहट हो।
सपना था उनका अमन-चैन,
अब हमको फर्ज निभाना है।
मानवता सबसे पहले,
आपस का भेद मिटाना है।
पराधीनता से मुक्त हुए,
दिल में जुनून वो भारी था।
कानून नहीं कोई विधि नहीं,
संघर्ष अभी भी जारी था।
ऐसे में संविधान लिखा,
उपकार ये नहीं भुलाना है।
मानवता सबसे पहले,
आपस का भेद मिटाना है।
संविधान को लिखने वालों ने,
बस अपना एक संजोया था।
ये विधि व्यवस्था बनी रहे,
मुश्किल से जिसको पाया था।
विधि-व्यवस्था अमन-चैन,
श्रद्धा का फूल चढ़ाना है।
मानवता सबसे पहले,
आपस का भेद मिटाना है।
