रफ्ता रफ्ता कोविड
रफ्ता रफ्ता कोविड
कुछ डरे डरे से हैं बीमार लोग हैं
मेरे आस पास बेशुमार लोग है
ना वो मुझको देख पाते
ना मैं उनको देख पाता
अपना चेहरा वो छुपाते
अपना चेहरा मैं छुपाता
हो गया है क्या क्यों शर्मसार लोग हैं
मैं वही करता था
उनकी थी जो इच्छा
मैं वही कहता लगे
जो उनको अच्छा
मैं समझता था मेरे आधार लोग हैं
उन्हों ने राहें दिखाईं मैं चला
धुन थी उनकी गीत मैंने जो कहा
वो कहां के थे कहाँ पर थे
न था मुझ को पता
कुछ हैं निराकार कुछ साकार लोग हैं
वक़्त बदलेगा ये अनायास ही
रंग लाएंगे मेरे प्रयास भी
वो मुझे देखेंगे फिर करीब से
और उन्हें होगा मेरा अहसास भी
हाँ अभी परदे में हैं लाचार लोग हैं।
