रंग
रंग
रंग उड़ भी गए
पर उभरे भी हैं
ज़िन्दगी के कई मौसम
गुज़रे भी हैं।
हालात बिगड़े
पर सुधरे भी हैं
कुछ किस्से पूरे
कुछ अधूरे भी हैं।
ज़िन्दगी की कश्ती
और अनुभव की पतवार
बस निकले हैं सफर पर
कुछ वक़्त ले उधार
सिमटता है वक़्त।
एक वक़्त के बाद
चिल्लाती सी रूह
और अनसुनी पुकार
याद करते करते
उन्हें भूले भी हैं।
रंग उड़ भी गए
पर उभरे भी हैं।