रक्त हृदय!
रक्त हृदय!
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प्रेम छोड़ जाता अपने पीछे
एक खाली समंदर
ले जाता अपने साथ उसमें भरे
एहसासों की मोती
ख्वाबों के मूंगे
और उम्मीदों के तमाम ख़ज़ाने
जिनपर जीवन की खर्ची चलती थी
विकराल से खड्ड अटे पड़े रहते हैं
अनुत्तरित सवालों के दलदल से
जिनकी सड़न दमघोंट देती है,
तुम भरना उस रिक्त पड़े सागर को
अपने हृदय से रिसते रक्त से
सुना है रक्त सिंचित जगहों पर
गुलाबों के उपवन खिलते हैं।