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Nirmal Mehra

Classics Inspirational

4.5  

Nirmal Mehra

Classics Inspirational

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

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95


रंग बिरंगे धागों को उलझा रही होगी,

चुन चुन कर मोती बहिना राखी बना रहीं होगी।


फौजी हूँ इसलिए छुट्टी मिली नहीं मुझको,

घर आ नहीं सकता बता पाया नहीं उनको,

मेरे आने की खुशी में बहिना घर सजा रहीं होगी,

चुन चुन कर मोती बहिना राखी बना रही होगी।


पिछले कई सालों से घर जा नहीं पाया,

कई रक्षाबंधन पर राखी बंधवा नहीं पाया,

इस बार भी राखी बांधने को उतावली हो रही होगी,

चुन चुन कर मोती बहिना राखी बना रहीं होगी।


कभी-कभी भाई बहनों में हो जाता नोक झोंक है,

उसे पता है खाने का मुझे कितना ज्यादा शौक है,

मेरे पसंद की मिठाइयाँ और पकवान बना रहीं होगी,

चुन चुन कर मोती बहिना राखी बना रहीं होगी।


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