रिश्ते
रिश्ते
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डोर भी अजीब है ये रिश्तो की
जितना सुलझाने जाते हैं
उतना ही उलझ जाते हैं
रिश्ते उस ताले की तरह है
जब तक चाभी है तब तक
घर को लुटेरे से से बचाएगा
वैसे ही जब तक बाते है
तकरार है रिश्ते में तब तक
जिंदगी चलती रहेगी
जब चाभी ही नहीं रहेंगी
तब ताले का क्या काम
जब बाते ही नहीं रहेंगी
तब रिश्तो का क्या नाम
बाजारों में तो नहीं बिकते
पर साथ हो भरी बाजार बिका देते .