STORYMIRROR

christian saini

Abstract

2  

christian saini

Abstract

रिश्ते

रिश्ते

1 min
194


डोर भी अजीब है ये रिश्तो की

जितना सुलझाने जाते हैं

उतना ही उलझ जाते हैं


रिश्ते उस ताले की तरह है

जब तक चाभी है तब तक

घर को लुटेरे से से बचाएगा

वैसे ही जब तक बाते है

तकरार है रिश्ते में तब तक

जिंदगी चलती रहेगी


जब चाभी ही नहीं रहेंगी

तब ताले का क्या काम

जब बाते ही नहीं रहेंगी

तब रिश्तो का क्या नाम



बाजारों में तो नहीं बिकते

पर साथ हो भरी बाजार बिका देते .


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract