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Nisha Malviya

Romance

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Nisha Malviya

Romance

रैना

रैना

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रहना चाहते थे दिल में घर बसा कर जो

वो आशियाँ हमारा भी उजाड़ कर चले गए

रैना वो प्यार की जो लेकर आए थे

अन्त में वह ही तबाह कर के चले गए।


मोहब्बत का कोहरा बढ़ाया था दिल के मोहल्ले में जो

वो ही इश्क़ ए आलम बरबाद करके चले गए

धुँधला सा रास्ता उस रैना से मुकम्मल रहा

मंज़िल हमारी हमसे जुदा कर के चले गए।


उम्मीद ख़्वाबों को पूरा करने की जो

अधूरी सी नींद में ही तोड़ गए

जिनके लिए ख़्वाब सजाए थे

वो कमबख्त मुँह मोड़ गए

हर लम्हा, हर रैना बेवफ़ा सी लगने लगी थी उन दिनों

कुछ ऐसे पत्थर दिल वो हो गए।


उनका ज़िक्र अच्छा नहीं लगता हमें

फिर भी उनके लिए कितना कुछ कह गए

अगर इतना हम अपने चाहने वालों के लिए कह जाते

तो क्या बात होती

अब वो बेदर्द सी रैना का दर्द भरे लम्हों में ख़याल आया

कैसे ना जाने कैसे हम उनके आशिक़ हो गए।



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