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Dr.Pratik Prabhakar

Abstract

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Dr.Pratik Prabhakar

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रात होने को है

रात होने को है

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रात होने को है ।

न ही आओ ओ निंदिया

रात होने को है ।

भीनी भीनी खुशबुओं की

बरसात होने को है ।


मिलेगी वो जिनका इंतेजार

ए -खास है ।

दे दूंगा सब जो भी मेरे 

पास है।

अब  शाम की तरह मैं

न ढलूँ।

उनसे जो  मुलाक़ात होने

को है।


मैं तैयार हो लूँ दिल को तस्सली

दे के

आज मुरादों की रात आयी है वक्त

ले के

वो सज के संवर के आएंगे

ओ निंदिया

थम जाना जब दिल नादान सा

ये मेरे

उनके सच में साथ होने 

को है ।


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