राष्ट्रप्रेम गीत (47)
राष्ट्रप्रेम गीत (47)
मेरा भारत रहा है रहेगा,
काम चलता रहा है चलेगा।
न डरा है न ही ये डरेगा,
रिपु मुंह की खाके ही मरेगा।।
भाल माता का ऊँचा रहेगा,
बच्चा भी बाना तन पे रखेगा।
देशवासी न मरने डरेगा,
पॉब आगे धरा है धरेगा।।
वीर जाके जब गर्जन करेगा,
शत्रु पीठ दिखाके भगेगा।
सामने आया फिर तो मरेगा,
या माथा नवा के बचेगा।।
काम बीरों का किया है करेगा,
शत्रु मारे आगे भी मारेगा।
शत्रु हाथ उठा जो धरेगा,
वो ही वीरों का गहना बनेगा।।
जय भारत की मिलके करेगा,
वो ही चैन अमन में रहेगा।
संधि लाके जो पगड़ी धरेगा,
वो ही राजा ये जग में रहेगा।।
