राष्ट्रप्रेम गीत (३२)
राष्ट्रप्रेम गीत (३२)
एक हाथ में तिरंगा ,
एक हाथ में दुनाली।
आगे बड़े हैं ऐसे ,
जैसे बड़ी हो काली।।
करते सफाया दुश्मन,
चेहरे पे रहती लाली |
बढ़ते ही आगे आगे,
चाहे सामने हो ढाली।
मेरे वीर ऐसे ज्ञानी ,
लखते सभी कुचाली।
दुश्मन को जाके पकड़े ,
मलते चेहरे पे काली।।
मेरे वीर ऐसे पक्के ,
मिलता न खाना थाली।
बो घांस रोटी खाके ,
ठोके हैं रण में ताली।।
मेरे वीर हैं गजब के ,
करायें मैदा खाली।
हम उनपे गर्व करते ,
वो हैं धरा के माली।।
