रास बिहारी की दुल्हन
रास बिहारी की दुल्हन
फॅमिली कोर्ट की
एक कोने की कुर्सी में
दुबक कर बैठी
गले में सांप से लिपटे मंगलसूत्र में
ऐंठन कसे जा रही थी।
और काले लबादों वाले
यमराज से कड़क, शानदार वकील
भारी किताबें
मोटे दस्तावेजों की फाइल थामे
मीलॉर्ड मीलॉर्ड की कांव कांव करते
इधर से उधर मंडरा रहे थे।
एक नज़र उसने अपने इर्द-गिर्द बैठी
और औरतों पर फेरी।
सब मानो
एक ही चक्की से पिसा अनाज हों।
कंधे ढीले
पैर कस कर समेटे
हाथ बार बार
आँचल को सीने पर टटोलते
और कान उस कांव कांव के बीच
बिखरे शब्दों के अधपके अर्थों से
झन्नाते हुए।
काले कोट और सफ़ेद शर्ट में
सब वकील एक से ही दीखते हैं
पर अगर आप गौर से देखेंगे
तो अच्छा-ख़ासा क्लास डिफरेंस
नज़र आएगा।
एक तरफ तो
चमचमाती मोटरगाड़ियों की तरह
पेटेंट लैदर के काले जूते और
लहलहाते काले कोट पहने
फर्राटेदार वकील थे
जो अपने मुवक्किल को
अखाड़े में धकेलने से पहले
कूटनीति के बादाम खिला रहे थे।
और दूसरी ओर
बिना गियर वाली सादा साइकिल की तरह
कम फीस वाले
या सरकारी खर्चे के वकील
जो अपनी या जूतों की ब्रांड से बेपरवाह
बस एक कोने में
दीवार से टिके
दूसरी पार्टी को तौलते-मौलते
शाम की चाय के साथ
क्या आर्डर करना है
उसका हिसाब लगा रहे थे।
रास बिहारी की दुल्हन
जो इतने सालों में
गुमनाम, बेपहचान
पति, रिश्तेदार और आस पड़ोस में
बस रास बिहारी की दुल्हन के नाम से
जानी जाती थी
आज कमला देवी vs रास बिहारी
केस नंबर 109 की फाइल के तले
गोंते मार रही थी।
और रास बिहारी का चमचमाता वकील
अपने क्लाइंट पर
एक काले जोंक सा चिपका
'एडवोकेट्स ओनली' सेक्शन से
अपने प्रतिध्वंदी को
एक भूखे भेड़िये सा ताकता
उसकी ऐंठन वाली ऊँगली को
नीला पड़ता देख कर
मन ही मन जीत के
जश्न मना रहा था।
III
कार्यवाही शुरू हुई
फाइलें लगी
कुर्सियां बटीं
हाथ मिले
पर्चे खिसके
दरवाजे बजे
पंच परमेश्वर के गान हुए।
मर्दों के अखाड़े में
सबसे ऊँची कुर्सी पर
काले कपड़ों में
माँ काली का रूप लिए
दुबक कर नहीं, तन कर बैठे
दुबक कर नहीं, तन कर बैठे
एक औरत को देख
रास बिहारी की दुल्हन के शरीर में
मानो नई जान फूँक दी हो
कंधे उठ खड़े हुए
मंगलसूत्र के ऐंठन ढीले पड़े
और सांस के कतरे बह चले।
दलीलों पर दलीले शुरू हुई
कभी मोटरगाड़ी गुर्राई
तो कभी साइकिल की टिनटिनी बजी
दोनों पार्टियों को तराज़ू में तौला
सबूतों का नक्शा
कभी आढा कभी तिरछा बिछा
धाराओं के तीर चले
जो शातिर थे वो कूटनीति से बच निकले।
अगली तारीख
जज साहिबा का चैम्बर
रास बिहारी और उसकी दुल्हन
काउंसलिंग का पहला सेशन
कार्यवाही शुरू -
दो तोले का हार
सिल्क की यह साड़ी
तुम बस ग्रेजुएट
और लड़का कारोबारी।
खुशनसीब हो
सब कुछ तो है
फिर भी शिकायतें
दो-चार थप्पड़, गाली गलौच
हर घर में होता है
पति है
कभी कभी गुस्सा आ जाता है
चलो घूमता है आवारा
पर ये तो मर्द की है फितरत
औरत हो बर्दाश्त करो
अदालतों में हक़ की लड़ाई से नहीं
घर में प्यार से लगाम दो
अपने साथ
अपने बच्चों का भविष्य मत झोकों
भरी थाली में यूँ लात मत मारो।
और इस तरह
फॅमिली कोर्ट में
एक और परिवार बिखरने से बच गया
रास बिहारी और उसकी दुल्हन का केस
फैसले से पहले ही सुलट गया
IV
फॅमिली कोर्ट की इस तारीख के
करीब पांच साल बाद
रात के अँधेरे में
कोई
शहर के सरकारी अस्पताल में
अधमरी हालत में
रास बिहारी की दुल्हन को छोड़ गया
दोनों हाथ कब्ज़ों से
टूटकर लटके हुए
मुँह पर, पेट और झांघो में
लाल, नीले, पीले निशान
सर एक तरफ से पिचका
गले में एक इंच भीतर तक
दो तोले का मंगलसूत्र गड़ा
रास बिहारी की दुल्हन
जो सालों से गुमनाम
खुद अपना नाम भूल गयी थी
आज देश के हर अख़बार के
पहले पन्ने पर सनसनी मचाये हुए थी
मोर्चे निकले
'महिलाओं आवाज़ उठाओ आवाज़ उठाओ ‘
के नारे उठे
कोई टीवी पर पीड़िता की जन्मपत्री खोले बैठा
तो कोई जोश भरे डिबेट में
IPC की धारा 498 A की धज्जियाँ उडाता
पति लालची, सास ससुर जल्लाद
माँ बाप जान कर भी अनजान
हर तरफ से ब्रेकिंग न्यूज़ के शोले
शूं शूं कर गिर रहे थे।
उच्च स्तरीय जांच पड़ताल शुरू हुई
शायद जल्द ही FIR भी कटेगी
अदालत में फिर से
मोटरगाड़ी और साइकिल की
रेस भी होगी
पर सवाल ये है
कटघरे में कौन कौन होगा ?
क्या उसकी आवाज़
जो उसने बड़ी मुश्किल से
साहस कर
एक बार उठायी थी
पर कुचल दी गयी थी
क्या अब फिर से
इस कांव कांव से ऊँची
उठने की हिम्मत कर सकेगी
क्या रास बिहारी की दुल्हन
कभी इस कोमा से जागेगी ?