राँझा
राँझा
जाने कितने दिन ढल गए तुझसे मिले हुए,
जाने कितनी राहें मुड़ गईं साथ चले हुए,
कितनी रौशनी थी राहों में जब हाथों में तेरा हाथ था !
कितनी चाँदनी थी रातों में जब उनमे तेरा साथ था !
हम तो सब कुछ लुटा चुके तेरे प्यार में खोते खोते,
अब तो आँसू भी बाकी ना रहा तेरी याद में रोते रोते,
कितनी आसानी से तू मुझे छोड़ चला !
मेरी गली से निकल सारा नाता तोड़ चला ! दुआ करते हैं,
भले ही हम न जी सकें, ख़ुश रहना तू,
तुझे कोई ग़म न छू सके, पलकें बिछी हैं राहों में,
कभी तो इन गलियों में आजा ! कोई कहती है सबसे,
"आएगा मेरा राँझा" !