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AJAY AMITABH SUMAN

Abstract Children Stories

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AJAY AMITABH SUMAN

Abstract Children Stories

राजा और भिखारी

राजा और भिखारी

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एक राजा जा रहा था शेर की शिकार में,

पोटली लेके खड़ा था एक भिक्षु राह में।


ये भिखारी घोर जंगल में यहाँ खो जाएगा,

शेर का भोजन यकीनन ये यहाँ हो जाएगा।


सोच कर राजा ने उसको राह से उठा लिया,

घबराया हुआ था भिक्षुक अश्व पे चढ़ा लिया।


वो भिखारी स्वर्ण रंजित अश्व पे चकित हुआ,

साथ नृप का मिला निजभाग्य पे विस्मित हुआ।


साथ ही विस्मित हुआ था नृप ये भी देखकर,

क्यों ये ढोता पोटली भी अश्व पे यूँ बैठ कर ?


ओ भिक्षु हाथ पे यूँ ना पोटली का बोझ लो,

अश्व लेके चल रहा है अश्व को ही बोझ दो।


आपने मुझको बैठाया कम नहीं उपकार है,

ये पोटली भी अश्व ढोये ये नहीं स्वीकार है।


और कुछ तो  दे सकूँ ना नृप तेरी राह में,

कम से कम ये पोटली रहने दे मेरी बाँह में।


सोच के दिल को मेरे थोड़ा सा इत्मीनान है,

पोटली का बोझ मुझपे अश्व को आराम है।


भिक्षु के मुख ये सुन के राजा निज पे हँस रहा,

वो भी तो नादां है फिर क्यों भिक्षु पे विहंस रहा।


मैं भी तो बेकार हीं में बोझ लेकर चल रहा,

कर रहा ईश्वर मैं जानूँ हारता सफल रहा।  


कर सकता था वो क्या क्या था उसके हाथ में,

ज्यों भिखारी चल रहा था पोटली ले साथ में।


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