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Asha Porwal Gupta

Abstract

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Asha Porwal Gupta

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राहें

राहें

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आंखों में समाई हुई राहें

आंखों के सामने दिखती हुई राहें

आंखों को कुछ और रास्ते दिखाती हुई राहें।

कदम बढ़कर भी आगे चल न सके

ये जाने कौनसी मंजिल दिखाती हुई राहें।

कदमों को रोककर फिर चलने के लिए 

मजबूर करती हुई राहें।

राहें जिनमें कहीं पर भी ठहराव नहीं है

आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करती हुई राहें।

जाने किस मोड़ से लेकर जाने किस मोड़ तक

ले कर जाती हुई राहें।

आशा है इनमें से एक राह मंजिल को जाती है

वो कौनसी राह है जो मंजिल को जाती है।

दिल जानता भी है और अनजान भी है

राहों के इस उधेड़बुन में मंजिल तक पहुंचने

का हौंसला कभी कम नहीं होता।



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