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Asha Porwal Gupta

Others

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Asha Porwal Gupta

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रिश्ते

रिश्ते

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छलनी हुए रिश्तों को निभाऊं कैसे

कुछ तो रुखसत हो गये रखे रखे

कुछ टूटपूंजे से है पड़े हुए

उनको जोड़ने का जुगाड़ लगाऊं कैसे

छलनी हुए रिश्तों को निभाऊं कैसे|

अच्छे आचरण का पानी सींचू 

फिर भी पत्थरों में जान ना ला पाऊं

मन के आघातों को झेल झेलकर

अपने सम्मान की बलि हरदम चढ़ाऊं

मिट्टी जब तक उपजाऊ ना होगी

आनंद का फूल इसमें खिलाऊं कैसे

छलनी हुए रिश्तों को निभाऊं कैसे।



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