Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vipin Agrawal

Abstract

5.0  

Vipin Agrawal

Abstract

प्यारा बचपन

प्यारा बचपन

1 min
354


कहाँ गए मस्ती के वो पल

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


न दुख किसी चीज का

न चिंता किसी बात की

जो दिल मे फिर से खुसियाँ भर दे

मुझको मेरे वो पल लौटा दे

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


वो बारिश के दिन सुहाने

भीग जाने के कितने बहाने

फिर मम्मी की डांट को पाने

मुझको वो बारिश लौट दे

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


कहाँ गया वो ठंड का मौसम

सोच कर ये आँखें हैं नम

सुहाने धूप मे स्कूल जाने का

वो मंजर मुझको लौटा दे

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


फिर गर्मी की छुट्टी के वो दिन

मौज मौज और मौज था हर दिन

और रात मे नींद को लाने

दादी के वो किस्से लौटा दे

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


वो दोस्तों संग खेलने जाना

खेल खेल में चोटें खाना

जीत के बाद वो जश्न मनाना

मुझको मेरा वो कल लौटा दे

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


अब पापा की डांट नहीं है

न मम्मी का वो दुलार है

जो छीन लिया यौवन ने मुझसे

मुझे वो भोलापन लौटा दे

मुझको मेरा बचपन लौटा दे


कहाँ गए मस्ती के वो पल

मुझको मेरा बचपन लौटा दे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract