प्यार या शिकायत !
प्यार या शिकायत !
ये वो प्यार नही, जो तुमसे हुआ था,
मैं वो यार नही, जो तुमसे मिला था,
एक शिकवा सा है तुमसे या तिशलगी,
एक खयाल सा है दिल मे,
क्या ये प्यार है या शिकायत।
चलो माना तुमने पहले ही कहा था,
की किसी और से प्यार है,
मैंने बोला कि परवाह नही,
चलो माना तुमने कहा था,
की याद आती है आज भी उसकी,
मैंने तब भी कहा परवाह नहीं।
लेकिन ज़रा ये बतलाना,
कि तब कहा था तुम्हारा प्यार,
जब मुझे अपना बताया था,
मेरे कंधे पे रख अपना सर झुकाया था,
रोई थी मेरी सांसो से लिपट कर तुम,
अपने जज़्बातों को मेरे दिल पे सजाया था,
कहती थी, की मैं अब सब कुछ हु तुम्हारा।
मेरे अलावा कोई न गवारा,
मेने तेरी बिखरी ज़िंदगी संवारा,
बताया था तूने मुझे अपना,
ज़िंदगी की सबसे हसीन सपना,
मेरे साथ बिताए हर एक पल,
तेरी ज़िंदगी का हसीन मंज़र।
फिर क्यों उसके आते ही,
तूने मुझे हटाया,
उसके सामने मुझे उस तक
पहुँचने का जरिया बताया।
आज दिल बहुत रोया है,
न जाने फिर कब सोया है
कहने को आज भी है बहुत कुछ,
पर न जाने ये
प्यार है या शिकायत !

