पूंजी जीवन की
पूंजी जीवन की
इज्जत की रोटी चाहिये,
मान सम्मान का जीना चाहिये,
हाथ फैलाना नही किसी के सामने,
बस यही पूंजी जीवन भर चाहिये।
सिर उंचा कर जी सकूं,
घमंड ,अभिमान से दूर रहूं
ऐसी निस्वार्थ बुद्धि चाहिये,
बस यही पूंजी जीवन भर संभाल सकूं।
अपने कर्म को और अच्छा कर सकूं,
दूसरों को खुशियाँ दे सकूं,
माता-पिता का नाम करना है रोशन,
अच्छे कर्मों की पूंजी ले जा सकूं।
इमानदारी से जीना है मुझे,
छल कपट नही पसंद मुझे,
दूसरों के चेहरे पर देखना है मुस्कान,
ऐसी पूंजी मानव की देखना पसंद मुझे।।