प्रवृत्ति
प्रवृत्ति
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कैसी ये प्रवृत्ति ?
कभी दुःख देती, तो कभी खुशी
ये प्रवृत्ति कभी फंसाती,
तो कभी बचाती।
कभी निराश करती, तो कभी विलास देती
ये प्रवृत्ति कभी किसी को डुबाती,
तो कभी निकालती।
प्रवृत्ति है वीरान जंगल-सी
वर्षा होती तो हरी-भरी होती
सूखे में यह वीरान होती
कैसी ये प्रवृत्ति ?
ऐसी है ये प्रवृत्ति।