प्रवासी भारतीय
प्रवासी भारतीय
मन में उम्मीदों का संसार लिए,
यादों के संदूकों में घर बार लिए।
देश प्रेम को अपने साथ लिए,
वो जाते है तो हैं परदेश...
पर दिल में अपना देश लिए...
स्वर्णिम जीवन का स्वप्न लिए
अपनी मिट्टी की खुशबू संग संस्कार लिए
संस्कृति के रंग , बड़ो का आशीष लिए
वो जाते है परदेश दिल में अपना देश लिए
कुछ फर्ज अधूरे रह जाते हैं,
पर कर्ज चुकाने कुछ जाते हैं
अपनो से दूर एक नई दुनिया बसाते हैं
वो जाते है परदेश दिल में अपनो का एहसास लिए
परदेश की जमी किस्मत को आजमाती है,
चकाचौंध में भी अपनो की याद नही धुंधलाती हैं।
सपनो की दुनिया मन तो भरमाती हैं।
और याद दिल से नहीं जाती है।
जाति ,धर्म से दूर बस भारतीय बन जाते है
कुछ रिश्ते वहा पर भी जुड़ जाते हैं
नए भारत से सबको मिलवाते हैं
सात समंदर पार भी परंपरा को अपने दिल में लिए ...
जाते हैं परदेश दिल में अपने देश लिए
तमन्ना हमेशा रहती हैं वापस सबसे मिल पाने की,
फिर जल्दी से लौट कहां वो पाते हैं।
पर उमींदे हमेशा पंख सजाती हैं एक बार लौट आने की
हर वक्त रहते हैं वो एक संदेश लिए..
हम आए हैं परदेस दिल में अपना देश लिए।