बेसिक की शिक्षिका
बेसिक की शिक्षिका
कच्चे मन में पढ़ने की आस जगाकर,
उम्मीदों के पंख लगाती हूँ।
हाँ, हूँ मैं बेसिक की शिक्षिका,
ये बात गर्व से कह पाती हूँ।।
कोमल मन में भविष्य के सपने सजाकर,
मजबूत उनका आधार बनाती हूँ।
खेलकर, खिलकर बच्चों के साथ,
अपना भी बचपन फिर से जी जाती हूँ।।
बच्चों को शिक्षा का महत्व बताकर,
सही और गलत का ज्ञान कराती हूँ।
जलाकर ज्ञान का दीपक बच्चो के मन में,
उनका भविष्य उज्जवल बनाती हूँ।।
होता है कोरा कागज बच्चों का मन,
ज्ञान के अक्षर उस पर बनाती हूँ।
हाँ, हूँ मैं बेसिक की शिक्षिका,
ये बात गर्व से कह पाती हूँ।।