परमानंद
परमानंद
पैमाना
नहीं
है
सुख
का
पैसा
हाथ
में
है
तो
परेशानियां
अपार
है
जीवंत
हो
जाती
है
खुशियां
सुखद
अनुभूतियां
अगर
संतोष
हो
तो
परमानंद
प्राप्ति
होती है
खुद
में
पैमाना
नहीं
है
सुख
का
पैसा
हाथ
में
है
तो
परेशानियां
अपार
है
जीवंत
हो
जाती
है
खुशियां
सुखद
अनुभूतियां
अगर
संतोष
हो
तो
परमानंद
प्राप्ति
होती है
खुद
में