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Chandeshwar Mishra

Tragedy Inspirational

4  

Chandeshwar Mishra

Tragedy Inspirational

प्रकृति

प्रकृति

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क्यों 

खड़े हैं 

हम अलग थलग, 

एक अजनबी की तरह, 

तोड़ कर नाता प्रकृति से, 

उसके विशाल अस्तित्व से, 

क्यों नहीं 

कर रहे उसकी परवाह, 

किस भ्रम में हैं हम, 

किस अहंकार मे हैं हम...? 

प्रकृति के 

मुस्कान से हम टिके हैं, 

यदि कर ली 

उसने एक आंख बंद, 

तो हो जायेंगी 

हमारी सांसे बंद...! 

जीना है, 

तो झुकना होगा, 

प्रकृति के संग जीना होगा, 

नाचें इसके साथ, 

इसके ही रस में भीगना होगा...! 



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